Posts

Showing posts from April, 2018

उस दिन बहुत कुछ छूट गया था ...

उस रोज़ स्टेशन पे मेरा बहुत कुछ छूट गया था! जाते हुए उसने बोला था "रोना मत" और उसके बाद आँसू थमें नही! कभी आँख से बाहर आते तो कभी पलकों के पीछे गुम कर लेता! जब मैं पलटा तो वो जा चुकी थी! सोचा रोक लूँ! पर रोकना सही न लगा! जब रिश्ते न निभे तो उन्हें पकड़ के आगे न ही बढ़े तो ही बेहतर होता है! पाँच मिनट बाद "आइ लव यू" बोलने के लिए कॉल किया थ उसने! पर उस वक़्त "आइ लव यू टू" न निकल सका मुँह से मेरे! भभक भभक के पहली बार किसी पब्लिक प्लेस पे रोया था मैं! तब पता चला के जब दुःख अंदर तक हो तो कहीं भी रोना ओक्कवर्ड नहीं लगता! लड़कियाँ शायद इसी लिए कहीं भी सहजता से रो लेती हैं! वो ख़ुश भी अंदर से होती हैं और दुखी भी! बाद में हिम्मत करके कॉल किया तो उसका कॉल नहीं उठा! मैं जानता था के अब कहानी ख़त्म हो चुकी है हमारी! पर मन में न जाने क्या खटक रहा था! दो घंटे बाद कॉल आया तो पता चला ऐक्सिडेंट हो गया है उसका! खरोंच ज़्यादा थी पर दर्द दिल में था! हम दोनो ही वापस आना चाहते थे! पर हम दोनो ही एक साथ रह नही पा रहे थे! वो एक हफ़्ते में जाने वाली थी! नए शहर! सारी यादों को भूल

एक दिन C.P पर जब ....

किसी रोज जब तुम CP पे ख़रीदने में बिज़ी होगी कोई जॉन एलिया की किताब, अचानक पीछे से आके वो गज़रा गूथ देगा तुम्हारे बालों में! पलट के तुम देख के मुस्क़ियाओगी और फिर शर्मा के चेहरे को छुपा लोगी उस किताब से जिसके पीछे जॉन साब का शेर लिखा होगा.. शर्म, वहशत, लाज, परेशानी, नाज से काम क्यों नहीं लेती तुम, वो, जी, आप ये क्या है? तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेती ?

प्रेम की ख़ामोशी ...

अच्छा सुनो ना !!! न जाने कौन से फासले है मेरे और तुम्हारे दरमियान...सब कुछ कितना ठहरा हुआ है पर जिन लम्हों में तुम मेरे साथ थी उसी में तुम्हे जी लिया...ज़िन्दगी को जी लिया. प्रेम को जी लिया..! मेरा इंतज़ार बहुत लम्बा है ..मुझे तुम्हारे पुकार की तमन्ना रहती है . एक अधूरी आस..तुम पुकार लेती तो मन कह लेता कि हाँ, मैं हूँ...तुम हो और है हमारा प्रेम! मैंने हर जगह देखा तुम्हे...सपनों में ,भीड़ में,अकेले में,मौन में,कौलाहल में..और भी पता नहीं कहाँ कहाँ..तुम ही तो हो ..!!पता नहीं किस जन्म का नाता है तुमसे.. तुम मिली...और एक कथा शुरू हुई....मेरी,हाँ ! शायद सिर्फ मेरी..!! मुझे लिखना अच्छा लगता है...और ख़ास कर तुम्हे लिखना..और जब मैं तुम्हे लिखता हूँ तो बस सिर्फ तुम ही तो होती हो .मैं तुममे मौजूद उस जीवट स्त्री के प्रेम में हूँ .! सच कहूँ तो मुझे तुमसे तब प्रेम नहीं हुआ,जब मैंने तुम्हे देखा है ..पर हाँ,मुझे प्रेम हुआ तुमसे जब मैंने तुम्हे समझा है ..और उसके बाद तो हर रोज ही मुझे तुमसे प्रेम हुआ.. नदी में तुम,रास्तो पर तुम,मंदिर में तुम ,धरती, जल और आकाश...हर जगह बस तुम...प्रेम में जब इंसान होता है

मुझसे मेरी ज़िन्दगी का हिसाब मत मांगिये ...

मुझसे मेरी जिंदगी का हिसाब मत मांगिये कुछ पैसे पड़े है जेब में ले लीजिये, ख्वाब मत मांगिये मैं अगर नहीं पियूंगा तो कैसे रहूंगा होश में सबकुछ मांग लीजिये पर खुदा के लिए शराब मत मांगिये यूँ ही नहीं बेवजह होठ सिल के बैठें हैं मेरी आँखें पढ़िए, जवाब मत मांगिये सबकुछ दीखता है है यहाँ भले कपडे बहुत महंगे हैं जब रूह नंगी हो तो हिजाब मत मांगिये वो कहते हैं अराहान, कि वो पी लेंगे आंसू तुम्हारे आँखों के पिघलने से पहले मैं उनसे कहता हूँ कि बेवकूफ है आप, तेज़ाब मत मांगियेमुझसे मेरी जिंदगी का हिसाब मत मांगिये कुछ पैसे पड़े है जेब में ले लीजिये, ख्वाब मत मांगिये मैं अगर नहीं पियूंगा तो कैसे रहूंगा होश में सबकुछ मांग लीजिये पर खुदा के लिए शराब मत मांगिये यूँ ही नहीं बेवजह होठ सिल के बैठें हैं मेरी आँखें पढ़िए, जवाब मत मांगिये सबकुछ दीखता है है यहाँ भले कपडे बहुत महंगे हैं जब रूह नंगी हो तो हिजाब मत मांगिये वो कहते हैं अराहान, कि वो पी लेंगे आंसू तुम्हारे आँखों के पिघलने से पहले मैं उनसे कहता हूँ कि बेवकूफ है आप, तेज़ाब मत मांगियेमुझसे मेरी जिंदगी का हिसाब मत मांगिये कुछ पैसे पड़े है जेब में ले लीजिये, ख्

लाल साड़ी वाली फोटो ...

Image
एक हाथ में beer है दूसरे में मोबाइल और सामने लैप्टॉप में तुम्हारी लाल साड़ी वाली फ़ोटो! लग रहा अब किसी चखने की ज़रूरत नही है! अकेले पीने की आदत नही है पर आज अकेले ही थे के तुम्हारी फ़ोटो ओपन कर ली! अपने साथ तुम्हारी तस्वीर देख के लगता है जैसे अंधे के हाथ बटेर लग गया हो! प्यार हो गया है तुमसे! ख़तरनाक वाला! तुमसे दूर रहते हैं पर तुम्हारे पास ही रहते हैं! काम कुछ भी करें दिमाग़ में तुम ही घूमती रहती है! क्यों हो तुम इतनी अच्छी? क्यों हो तुम इतनी सिंपल? गए थे कल लखनऊ हमें पता है तुमको हमारी पसंद के झूमके नहीं पसंद पर हमको अच्छे लगे तो ले लिए! हमें लगा तुम्हारे कानों में जँचेगा ये! लेकर आएँगे जब मिलेंगे तुमसे! पहनना न पहनना वो तुम्हारी इच्छा है! हमको जो भी अच्छा लगेगा लेते जाएँगे तुम्हारे लिए! हाँ बहुत बुरा वाला इश्क़ है तुमसे! ऐसे जैसे अपना नाम तुम्हारे बिना अधूरा लगता हो! आज तुम होती तो नशा सा होता! हर रात हर दिन हर पल ख़ुशनुमा सा होता! तुम मेरे साथ ख़ुश रहोगी या नही रहोगी ये तो नही पता पर हम बहुत ख़ुश रहेंगे ये जानते हैं हम! तुमको पा के पता चला दरसल हमें पसंद क्या क्या है! तुम्हारी ब

मेकअप ...

मेक अप के नाम पे वो बस काजल ही लगाती थी! काजल की एक लेयर। मैं जब भी पूछता तो बोल देती "तुम तो मिल ही गए हो, मेकअप वेकअप की क्या ज़रूरत?" कठिन से कठिन उलझनों को भी आसान बना देती थी! उसके शहर का चक्कर उसकी नज़रों से लगाना भी एक डाईहार्ट टास्क हुआ करता था! तुम्हारा शहर मेरे लिए अजनबी ही रहा है! हाँ अब थोड़ा थोड़ा फ़मिलियर होने लगा हूँ पर अजनबी होना ज़्यादा ख़ास है, नज़रें भले ही मेरी हो पर नज़ारा तो तुम्हारी आँखों का होता है न! तुम्हारे उसी बीकानेरी रेस्टरों की वही वाली सीट, जहाँ हम पहली बार डेट पे गए थे! पच्चीस साल की जिन्नगी में पहली बार डेट का मतलब तारीख़ से बदल कर किसी से मिलना हुआ था! तुम्हारी पसंदीदा कोल्ड कॉफ़ी विद आइसक्रीम और हमारा वही चिली पोटेटो! अब तो जैसे लगाव सा है उस जगह से! साला फ़िल्म देखने गए तो टिकट वाला भी दो बार कन्फ़र्म किया की "कॉर्नर सीट" या "सेंटर कॉर्नर सीट"? जवाब में हमने बोला "अमाँ पिक्चर देखना है यार! सेंटर कॉर्नर दो!" लड़का-लड़की थिएटर जाएँ तो टिकट वाला ख़ुद समझदारी दिखाते हुए "कॉर्नर टिकट" काट के दे ही देत