उस दिन बहुत कुछ छूट गया था ...
उस रोज़ स्टेशन पे मेरा बहुत कुछ छूट गया था! जाते हुए उसने बोला था "रोना मत" और उसके बाद आँसू थमें नही! कभी आँख से बाहर आते तो कभी पलकों के पीछे गुम कर लेता! जब मैं पलटा तो वो जा चुकी थी! सोचा रोक लूँ! पर रोकना सही न लगा! जब रिश्ते न निभे तो उन्हें पकड़ के आगे न ही बढ़े तो ही बेहतर होता है! पाँच मिनट बाद "आइ लव यू" बोलने के लिए कॉल किया थ उसने! पर उस वक़्त "आइ लव यू टू" न निकल सका मुँह से मेरे!
भभक भभक के पहली बार किसी पब्लिक प्लेस पे रोया था मैं! तब पता चला के जब दुःख अंदर तक हो तो कहीं भी रोना ओक्कवर्ड नहीं लगता! लड़कियाँ शायद इसी लिए कहीं भी सहजता से रो लेती हैं! वो ख़ुश भी अंदर से होती हैं और दुखी भी!
बाद में हिम्मत करके कॉल किया तो उसका कॉल नहीं उठा! मैं जानता था के अब कहानी ख़त्म हो चुकी है हमारी! पर मन में न जाने क्या खटक रहा था! दो घंटे बाद कॉल आया तो पता चला ऐक्सिडेंट हो गया है उसका! खरोंच ज़्यादा थी पर दर्द दिल में था! हम दोनो ही वापस आना चाहते थे! पर हम दोनो ही एक साथ रह नही पा रहे थे! वो एक हफ़्ते में जाने वाली थी! नए शहर! सारी यादों को भूलने को! बिज़ी रहने को!
मेरे होश में सिर्फ़ उसके सामने ही रोया हूँ मैं! अब हर रात सुबुक सुबुक के रोता हूँ! कभी सोचा न कि मेरी यूँ हाल होंगी! शायद उसका हाल सोच के रोना आता है! उसको यक़ीन नही रहा था मुझपे! और न ही मैंने कभी दिलाना चाहा! हालाँकि रिश्ते बिगड़ने की वजह मैं ही था! हमेशा से! पर ताली एक हाथ से भी नहीं बजती!
प्यार है उससे! और उसको भी है! बस हम दूर है! शायद इस उम्मीद में के एक दिन सब अच्छा करके हम उसी जगह मिलेंगे! उसी जगह जहाँ हम दोनो अलग हुए थे! वो मेरा नाम लेके मेरे दिल की धड़कन बढा देती है! उसे सारे पैंतरे पता है! एक दिन शायद सब अच्छा करके हम मिलेंगे! आँसुओं को पोछते हुए! माथे को चूमते हुए! और कस के गले लगते हुए! अगले जनम में!
भभक भभक के पहली बार किसी पब्लिक प्लेस पे रोया था मैं! तब पता चला के जब दुःख अंदर तक हो तो कहीं भी रोना ओक्कवर्ड नहीं लगता! लड़कियाँ शायद इसी लिए कहीं भी सहजता से रो लेती हैं! वो ख़ुश भी अंदर से होती हैं और दुखी भी!
बाद में हिम्मत करके कॉल किया तो उसका कॉल नहीं उठा! मैं जानता था के अब कहानी ख़त्म हो चुकी है हमारी! पर मन में न जाने क्या खटक रहा था! दो घंटे बाद कॉल आया तो पता चला ऐक्सिडेंट हो गया है उसका! खरोंच ज़्यादा थी पर दर्द दिल में था! हम दोनो ही वापस आना चाहते थे! पर हम दोनो ही एक साथ रह नही पा रहे थे! वो एक हफ़्ते में जाने वाली थी! नए शहर! सारी यादों को भूलने को! बिज़ी रहने को!
मेरे होश में सिर्फ़ उसके सामने ही रोया हूँ मैं! अब हर रात सुबुक सुबुक के रोता हूँ! कभी सोचा न कि मेरी यूँ हाल होंगी! शायद उसका हाल सोच के रोना आता है! उसको यक़ीन नही रहा था मुझपे! और न ही मैंने कभी दिलाना चाहा! हालाँकि रिश्ते बिगड़ने की वजह मैं ही था! हमेशा से! पर ताली एक हाथ से भी नहीं बजती!
प्यार है उससे! और उसको भी है! बस हम दूर है! शायद इस उम्मीद में के एक दिन सब अच्छा करके हम उसी जगह मिलेंगे! उसी जगह जहाँ हम दोनो अलग हुए थे! वो मेरा नाम लेके मेरे दिल की धड़कन बढा देती है! उसे सारे पैंतरे पता है! एक दिन शायद सब अच्छा करके हम मिलेंगे! आँसुओं को पोछते हुए! माथे को चूमते हुए! और कस के गले लगते हुए! अगले जनम में!
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