इश्क जिंदा है ...
हाँ , जब उसको उसकी वाली छोड़कर जाती है तो कुछ नहीं होता। बस शौक, लगाव और इच्छाएं मर जाती है सभी। ऐसा नहीं कि मन ना हो कभी, बस दिल हट जाता है इन सबसे। हाँ फिर वो ईगो, सेल्फ रिस्पेक्ट, और ऐटिट्यूड वाला नाटक भी तो नहीं हो पाता मुझसे।
खैर तुम्हें गए अरसे बीत गए हैं, पर जिस तरह तुम्हें लिखा है और महसूस किया है अपने शब्दों में, ऐसे लगता है कल की ही बात हो।
सच कहूँ किसी और पर आज भी दिल नहीं जाता। पसंद बहुत आती हैं, पर तुम्हारी बात ना अलग थी। तुम ना सिर्फ तुम थी।
इसीलिए आज तक तुम्हारी जगह कोई ले नहीं पाया। या शायद तुमने लेने ही नहीं दी।
और शक नहीं करता तुम पर। लेकिन हाँ , एक झूठी सी ईमेज बनानी पड़ती है खुद में, जैसे तुम्हेँ कोई मिल गया हो मुझसे बेहतर। और तुम खुश हो उसके साथ। बस तुम्हें खुश देखना ही मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ख्वाहिश है।
पर ये भी तो कि तुम नहीं आ सकती हो अब। प्रेम के साथ कई मतलब और भी तो जुड़ गए हैं।
लेकिन प्रेम तो बिना अपेक्षाओं के होता है ना, जहाँ अभिलाषाओं की भी कोई जगह नहीं होती। ऐसा कहकर मेरा मतलब कोई तुम्हारे वाला "टोंड" मारना नहीं है और हां वो "टौंट" होता है।
खैर जो भी हो, पर कोशिश करूंगा अब नहीं याद करूंगा तुम्हें। और करूंगा भी तो चुपके से तुम्हें बिन बताए। जैसे अब तक होता आया है।
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